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ग़म की चाबी (स्वैच्छिक)-30-Mar-2024

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 30/03/2024
 ग़म की चाबी (स्वैच्छिक)

मोहब्बत ग़म की चाबी सी होती है
दिल में लगाकर आग,
कहीं दूर गायब हो जाती है।।
ग़म की चाबी का ताला भी 
मुश्किल ही सा खुल पाता है,
जब मोहब्बत सरेआम नीलाम होती है।
मोहब्बत ग़म की चाबी सी होती है
दिल में लगाकर आग
कहीं दूर गायब हो जाती है।।

कोई ख्याल पुराना सा जब
आंखों में नज़र आता है।
दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं ,
अश्कों का सहारा मिल जाता है।
मोहब्बत सुबह शाम 
दिल बेचैन कर जाती है
मोहब्बत ग़म की चाबी सी होती है
दिल में लगाकर आग
कहीं दूर गायब हो जाती है।।

शाहाना परवीन 'शान'...✍️

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4 Comments

Abhinav ji

31-Mar-2024 09:10 AM

Very nice👍

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Gunjan Kamal

30-Mar-2024 10:02 PM

शानदार

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Varsha_Upadhyay

30-Mar-2024 07:44 PM

Nice

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